The smart Trick of sidh kunjika That Nobody is Discussing
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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३ ॥
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
श्री मनसा देवी स्तोत्रम् (महेंद्र कृतम्)
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
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